पी. एफ. आई. टर्की संबंध और भारत में चरमपंथ का उदय

सुरेंद्र मलनिया

 "सभ्य होने का दोष यह है कि यह हमारे बीच के असभ्य लोगों को स्वतंत्रता और समानता के नाम पर हमारे खिलाफ भीषण अपराध करने की अनुमति प्रदान करता है"- एम. जे क्रोन।

     मानवाधिकार एवं स्वतंत्रत संगठन और मानवीय सहायता के लिए बनाये हुये संगठन समाज की भलाई के लिए रचनात्मक कार्य के लिए जाने जाते हैं। अल-कायदा से संबंधित तुर्क चैरिटी संगठन जिस पर एक अभियोजक द्वारा पूर्वी तुर्क प्रांत वैन में आतंकविरोधी जांच के दौरान जनवरी 2014 में सीरिया में अल-कायदा संबंधित जिहादी संगठन पर हथियार तस्करी का आरोप लगा था। तुर्क राष्ट्रपति एडॉगन के दामाद और वर्तमान वित्त एवं ट्रेजरी मंत्री बेराट अलब्याकं के लीक हुये ई-मेल से आई.एच.एच. पर लीबियाइ समूह को हथियार मुहैया कराने का आरोप लगा है। आई.एच.एच. एक ऐसे संगठन के नाम से जाना जाता है जिसका घनिष्ठ संबंध तुर्क इटेलिजेंस संस्था एम.आई.टी. से है जिसके नेतृत्वकर्ता तैय्यप एडॉगन को पूरे विश्वभर के मुस्लिमों के नेता मानते है।

      यह संगठन भारत के लिए क्यों प्रासंगिक है और इसका पी.एफ.आई. से क्या संबंध हैं इसका उत्तर जटिल जांच द्वारा दिया जा सकता है। जांच के अनुसार *पी.एफ.आई. के दो शीर्ष नेतृत्वकर्ता ई.एम. अब्दुल रहमान और प्रोफेसर पी कोया, पी.एफ.आई. के राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य हैं जिनकी निजी स्तर पर आई.एच.एच. द्वारा इस्तांबुल में मेजबानी की गई थी। पी.एफ.आई एक भारतीय चरमपंथी इस्लामी संगठन है जो हिंसक एवं आपराधिक गतिविधियों, फिरौती के लिए लड़कों के अपहरण एवं हत्या*, सी.पी.आई. और आर. एस. एस. कार्यकर्ताओ की हत्या, ए.बी.वी.पी. के कार्यकर्ता एन. सचिन एवं विशाल की हत्या. उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों के खिलाफ एस.एम.एस. मुहिम चलाना, टीजे जोसफ का हाथ काटना, शिमोगा हिंसा, *नागरिकता बिल के खिलाफ कार्यक्रम करवाने से लेकर जबरन धर्मांतरण करवाने में संलिप्त है।* 



 *तुर्क इंटेलिजेंस एजेंसी एवं जिहादी चैरिटी समुह के भारतीय चरमपंथी संगठन से संबंध को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।* तुर्क राष्ट्रपति एरडोगन 1924 में समाप्त हुई खिलाफत प्रणाली को फिर से दक्षिण पूर्वी एशिया में स्थापित करने की योजना के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वैश्वीकरण के इस दौर में जहां राष्ट्रवाद की अवधारणा के साथ निश्चित भौतिक सीमायें हैं, खिलाफत प्रणाली से निश्चित तौर पर बड़े स्तर की हिंसा और अशांति की आशंका है। *पी.एफ.आई. जो कि अपने विनाशक एजेंडे के लिए जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में तुर्की की विभाजनकारी योजना को सफल बनाने के लिए तत्पर है।* तुर्की और पी.एफ.आई. के अच्छे संबंध का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पी.एफ.आई. ने एक बयान जारी कर कहा था कि 2016 में तुर्की राष्ट्रपति एरडोगन द्वारा सत्ता पलट के प्रयास जो कि वास्तव में एरडोगन की सेना एवं इंटेलिजेंस एजेंसी का इस्लामिक शक्ति को मजबूती प्रदान करने के लिए और फासिवादी शाशन स्थापित करने के लिए था। पी. एफ. आई. और आई. एच. एच. का सही मेल साबित हो रहा है जैसा कि दोनों संगठन अपने-अपने राष्ट्रों के हित के खिलाफ खड़े होते हैं।

     प्रसिद्ध पौराणिक कथा रामायण में यह वर्णित है कि रावण को केवल अपने ही आदमी विभीषण द्वारा हराया गया था। शक्तिशाली राष्ट्र को हानि हमेशा से ही अंदर के दुश्मनों से हुई है जो कि बाहरी ताकतों से मिलकर देश के खिलाफ काम करते हैं। *पी.एफ.आई. के पूर्व के हिंसक और हाल के घटनाक्रम जिसमें आई. एच. एच. के लोगों के साथ मिलना एक आगामी भयावह आपदा की ओर इशारा करता है और इसे तब तक नकारा नहीं जा सकता है जब तक इस समस्या को नेस्तनाबूद ना कर दिया जायें।* पहले हमला न करने की नीति गुट निर्पेक्ष आंदोलन इत्यादि हमारे लिए महंगी साबित हुई है. इन वाक्यों ने पहले से ही हमें क्षेत्र का नुकसान और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा का हनन कराया है। अब समय आ गया है कि हम अपने कथानक को बदलें और सरकार दौरा पीएफआई पर प्रतिबन्ध का समर्थन करे।

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