पॉपुलर फट ऑफ इंडिया पर उलेमाओं के विचार।

सुरेंद्र मलनिया

शैख अब्दुला अजीज बिन बज, मुफ्ती सउदी अरब 1993-1999 ने अल बुखारी संख्या 24 एवं मुस्लिम 36/2 का  जिक्र करते हुए कहा कि आप दोनों को एक विद्वान से पूछने में सक्षम होना चाहिए और बिना शर्म महसूस किए किसी को बुराई करने से रोकना चाहिए। इस्लाम भी अपने अनुयायियों से स्पश्ट रूप से जैसा कि उपर दिए गए फतवा में उल्लेखित है सत्य के साथ खड़े रहने की वकालत करता है। 
     दिसम्बर 2021 में हुबली कर्नाटक में एक सम्मेलन के दौरान मौलाना मोहम्मद रहमानी से पूछा गया कि क्या पी.एफ.आई के सदस्य सहाबा के रास्ते पर काम कर रहे हैं। मौलाना रहमानी, अध्यक्ष अबुल कलाम इस्लामिक जागृति केन्द्र और इमाम, रहमानी मस्जिद, जाकिर नगर, दिल्ली ने कहा कि पी.एफ.आई एक राजनीति संगठन है जो कि उन लोगों से संबंधित है जिनके पूर्वज सहबा को बदनाम करने और गाली देने का काम करते थे। कुरान और हदीस को ध्यान में रखते हुए पूरे अधिकार के साथ मौलाना रहमानी ने कहा कि पी. एफ.आई इस्लामिक विशवास और आस्था पर काम नहीं करता। मौलाना रहमानी ने  बताया कि संगठन में मौजूदा शiसक के खिलाफ विद्रोह के लक्ष्ण आसानी से पाए जा सकते हैं। उनकी साहबा पर राय मुस्लिम ब्रदरहुड की मानसिकता को दर्शती है कि पी.एफ.आई वैभिवक स्तर की संगठन अल-इखवानुल- मुस्लिमिन जिसे भारत में जमात-ए-इस्लामी के नाम से जाना जाता है की एक शाखा हैi अतीत में यह इस्लाम के लिए मुख्यतः युवाओं के लिए विनाशकारी रहे हैं i

 ऐतिहासिक और वर्तमान प्रसंग से यह दिखता है कि ख्वारिजी विचारधारा ने अतीत में इस्लाम में महाविपदा लेकर आया और इस्लाम के वर्तमान और भविश्य के लिए भी खतरनाक दिखाई देता है।  यदि इस पृष्ठभूमि में जाने-माने उलेमा पी.एफ.आई की तुलना ख्वारिजी से करते हैं तो भारत जैसे शiतिप्रिय और सामाजिक और जातीय विविधता से भरे देश के लिए चिंता का विशय है। इखवानुल मुस्लिमिन पूरी दुनिया में मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम से बेहतर रूप से जाना जाता है। हाल ही में सउदी काउंसिल के वरिश्ठ विद्वानों ने बताया कि मुस्लिम ब्रदरहुड एक आतंकवादी समूह है और इस्लाम के वास्तविक मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करता। काउंसिल इख्वानुल मुस्लिमीन की व्याख्या एक विचलित समूह के रूप में करता है जो राष्ट्रों के सह-अस्तित्व को कमजोर करता है और राजद्रोह, हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। पी.एफ. आई का हिंसक इतिहास देशद्रोह और आतंक के घटना से भरा हुआ है। पी. एफ आई हमेशा से ही खुद को मजबूत करने के लिए कई बार मुस्लिम उत्पीड़न कार्ड खेल चुका है। मुस्लिम ब्रदरहुड ने इजिप्ट को बर्बाद कर दिया और पीएफ आई भी भविश्य में खुद को भारत का मुस्लिम ब्रदरहुड साबित करेगा। 
   अमेरिकी कांग्रेस के मैन जिम बैंक्स ने 2019 में दक्षिण एशिया में कटटर जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव के उपर चिंता जाहिर की और बताया कि एशिया में बढ़ते हुए हिंसा का संबंध जमात-ए-इस्लामी से संबंधित संगठनो से है। बैंक्स ने बाद में स्पश्ट किया कि जमात-ए-इस्लामी एक कट्टर हिंसक धार्मिक संगठन। दक्षिण एशिया अल्पसंख्यक गठबंधन के पूर्व अध्यक्ष ने मुस्लिम ब्रदरहुड एवं जमात-ए-इस्लामी के बीच  धार्मिक विचारधारा की समानता की व्याख्या की थी। उन्होंने कहा कि आतंक को बढ़ावा देने और दुनिया भर में जिहाद को पोशित करने में जमात-ए-इस्लामी की सहभागिता की अनदेखी नहीं की जा सकती। स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया, जमात-ए-इस्लामी का छात्र विंग था जिसने यह पहले ही दिखा दिया है कि युवाओं को दिग्भ्रमित भारत के शान्ति को भंग करने में सक्षम है। केरल के हाथ काटने की घटना या हथियार प्रशिक्षण का मामला हो यह दर्शाता है कि पी एफ आई भी वही चीज कर रहा है। पूर्व में भी पी एफ, आई पर प्रतिबंध लगाने की अवाज उठी थी जिसके कारण झारखंड में पी एफ. आई. को प्रतिबंध कर दिया गया था। जबकि समान रूप से उठे आवाज को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू एवं राजस्थान में अनदेखा कर दिया गया। इससे पी.एफ.आई और मजबूत होता गया और इसकी कानून को चुनौती देने की क्षमता विकसित हो गई। इस बार भारत सरकार ने उलेमाओं, बुद्धिजीवियों, राष्ट्रवादियों के बातों पर ध्यान दिया है और  पीएफ आई पर प्रतिबंध की घोषणा की है। अब यह आम जनता का दायित्व है कि वो पीएफ आई पर प्रतिबंध का समर्थन करके पीएफ आइ द्वारा देश को बर्बाद होने से रोके।
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