पी.एफ.आई का सैन्य विंग भारत की एकता के लिए खतरा।

सुरेंद्र मलनिया।

कुख्यात चरमपंथी संगठन पी.एफ.आई का किसी भी सकारात्मक या रचनात्मक सोच से जोड़ना लगभग एक चुनौती है। पी.एफ.आई के आतंकी/हिंसक गतिविधि से संबंधित खबर के अलावा भारत की आतंरिक सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव सामने आती है। पी.एफ.आई के गतिविधि की विभिन्न जाँच और इसके संवर्ग से विभिन्न मामलों में पूछ-ताछ पर वह पता चलता है कि पी.एफ.आई द्वारा भारत के प्रत्यके राज्यों में अपने विरोधियों को मारक दस्ते द्वारा आतंकित करने की योजना का सनसनी खुलासा हुआ है। दिग्यमित युवाओं का इस्लामी मूल्यों संगठन के प्रति वफादारी शारीरिक स्वस्थता के प्रक्रिया जैसी मानदंड के आधार पर कठोर चयन प्रकिया से चयनित किया जाता है। उत्तर प्रदेश में मारक दस्ते मामले की जाँच कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि बहुत सारे युवाओं पी.एफ.आई में भाामिल हुए पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण कार्यक्रम में रखे गए और फिर मारक दस्ते में भामिल किए गए।

पी.एफ.आई गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का डरावना विवरण उजागर नहीं होता यदि उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने दो पी.एफ.आई के हार्डकोर सदस्यों को न पकड़ा होता। पिछले वर्ष के मध्य में उत्तर प्रदेश एस.टी. एफ ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जिनमें अंसाद बदरूद्दीन और फिरोज खान भामिल थे (दोनों केरल के थे) और उनके पास से हथियार / गोला-बारूद के साथ 16 उच्च क्षमता वाले विस्फोटक प्राप्त हुए थे। अंसद, पी.एफ.आई मारक दस्ता का राष्ट्रीय समन्वयक है जो बम बनाने में निपुण होने के साथ एक ब्लैक बेल्ट धारक भी है। फिरोज, पी.एफ.आई का राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षक है और बम बनाने में निपुण होने के साथ मालि कला में ब्लैक बेल्ट धारक हैं। 

दोनों ने यह कबूल किया कि वे पी.एफ.आई की स्थापना दिवस के अवसर पर 17 फरवरी को विभिन्न जगहों पर विस्फोट करने की योजना बना रहे थे। ये लोग सीधे-सीधे युवाओं को भ्रमित करते हैं और उन्हें बम / बंदूक / विस्फोटक चलाने का प्रशिक्षण देते हैं । दोनों ने यह खुलासा किया कि प्रत्येक राज्य में 25-25 सदस्य बनाने की योजना थी। वे युवाओं का चयन उनके ऑनलाइन गतिविधि द्वारा करते हैं और उनसे संपर्क उनके भड़काउ पोस्ट पर कमेंट को देखकर करते हैं। बाद में उन्हें पी.एफ.आई द्वारा निचित मानदंड के आधार पर अलग किया जाता है।

उसी साल ही उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने सिद्धार्थ नगर के मोहम्मद रशिद को गिरफ्तार किया और उससे नकली दस्तावेज, राष्ट्रद्रोही सामग्री प्राप्त किया है। राशिद पी.एफ.आई का कमांडर एवं हथियार प्रशिक्षक था जो कि अनसद के तरह सीधे-सीधे भ्रमित युवा को पसंद करता था। वो कमजोर मुस्लिम युवाओं को उपदेश देता था और धर्म को लक्ष्य बनाकर राज्यों के खिलाफ हथियार उठाने को कहता था । राशिद ऐसे युवाओं को हथियार चलाने और शारीरिक लड़ाई के लिए प्रशिक्षित करता था।

उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ के जाँच से यह उजागर होता है कि राशिद ने प्रशिक्षण का एक प्रारूप तैयार किया था और उन्हें ग्रेड दिया जाता था जो उससे प्रशिक्षण लेते थे और उन्हीं ग्रेड के अनुसार उन्हें आगे जटिल हथियार चलाने की प्रशिक्षण दी जाती थी। हथियार या किसी और चीज का प्रशिक्षण पी.एफ.आई के लिए कोई नई बात नहीं है। कुछ साल पहले 2013 में केरल के कन्नूर जिले के नारथ नामक जगह से पी. एफ.आई प्रशिक्षण शिविर से हथियार और विस्फोटक की बरामदगी हुई थी। प्रशिक्षण शिविर से तलवार, लकड़ी की छड़ी, मानव पुतले, विदेशी करेंसी, मोबाइल और पी.एफ.आई पम्पलेट जब्त किए गए थे।

गुरिल्ला युद्ध रणनीति से लैटिन अमेरिकन राज्यों में अनकही क्षति हुई है। वो लड़ाई हमें सीख देती है कि नियमित सेना के मुकाबले पारंपरिक सेना से लड़ना आसान होता है। पी.एफ.आई सैकड़ों में युवाओं को गैर पारंपरिक युद्ध रणनीति के लिए प्रशिक्षण दे रहा है और उन्हें धार्मिक रेखाओं पर प्रेरित कर रहा है। इतिहास गवाह है कि धार्मिक रूप से प्रेरित व्यक्ति यदि गलत रास्ते पर चले जाएँ तो वो राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति हो सकता है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, अधिकारियों को मारक दस्ते के पूरे गठजोड़ का पता लगाना चाहिए साथ ही साथ मुस्लिम युवाओं को ऐसी देश विरोधी संगठनों से बचके रहना चाहिए।

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