राम नाम का जाप करने और बेगर्ज प्रेम से बदल सकती है जिदंगी: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

गुरु जी ने देशभर के नशा व्यापारियों को नशा बंद करने का किया आह्वान

सुरेंद्र मलनिया 

बरनावा। राम का नाम व बेगर्ज प्रेम दो ऐसी बाते है। जिसको अपनाने से पूरी जिदंगी बदल जाती है तथा इससे पूरा समाज बदल जाता है। ऐसा करने से इंसान के अंदर-बाहर की तमाम कमियां दूर हो जाती है। ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु का नाम लेना इस 

इस घोर कलयुग में बड़ा ही मुश्किल है। इंसान को अपने काम धंधे याद रहते हैं, लेकिन भगवान का नाम लेना उसे याद नहीं रहता। आज इंसान दिन-रात काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार में लगा रहता है और भूल जाता है उस परम पिता परमात्मा को तथा अपने ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु राम को जो दया का सागर है तथा मनुष्य को समुद्र के समुद्र खुशियां देने वाला है और इंसान को अंदर बाहर से मालामाल बनाने वाला है। उक्त उद्गार बृहस्पतिवार को शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा उत्तर प्रदेश से पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम से देश-विदेश से जुड़ी साध-संगत को संबोधित करते हुए 

कहें। इस मौके पर पूज्य गुरु जी ने पंजाब के मानसा, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद, दिल्ली के गाजीपुर व हरियाणा के शाह सतनाम जी धाम सिरसा में हजारों लोगों को गुरुमंत्र, नाम शब्द की दीक्षा देकर नशे रूपी दैत्य सहित अन्य सामाजिक बुराइयों से छुटकारा दिलाया और परमात्मा के नाम की भक्ति इबादत करने के लिए प्रेरित किया। वहीं सत्संग कार्यक्रम के दौरान पूज्य गुरु जी ने देशभर में नशे रूपी दैत्य का व्यापार करने वालों को नशा बेचना बंद करने का आह्वान करते हुए कहा कि आज अगर आप हमारी आवाज सुनकर अपना नशे का बिजनेस बदल देते हो और इसकी जगह कोई और काम का तर्जुबा लेकर अच्छा काम करते हो तो भगवान आपके उस नए काम में 10 गुणा बढ़के आपको बरकत जरूर डालेगा। पूज्य गुरु जी ने आगे कहा कि चाहे आप हमसे जुड़े हो या ना जुड़े हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और आप (नशा बेचने वाले) सभी लोगों को जहर बेचना छोड़ दो।



मनुष्य मालिक को भूलकर मालिक की बनाई चीजों में हुआ मस्त

पूज्य गुरु जी ने कहा कि बेपरवाह जी ने एक भजन में लिखा है कि दाता भूल दातां नाल प्यार पा लिया यानी आज का इन्सान उस मालिक को भूल गया और उस मालिक की बनाई गई चीजों में दिन-रात खोया हुआ है और मस्त है। मालिक की बनाई गई बातों पर ध्यान नहीं देता, बल्कि उसकी बनाई गई दातों पर ध्यान देता है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि संत-पीर-फकीरों ने यह बार-बार समझाया है, बताया है और शिक्षा दी है कि इन्सान अपने मालिक को याद करे और इन्सान मालिक के नाम को जपे तो जरूर 

परम पिता परमात्मा को पा सकता है। लेकिन उस बात को भूलकर आज का इंसान खुदगर्जी में, अहंकार में, काम, वासना, क्रोध, लोभ, मोह, ममता अहंकार में बुरी तरह से पागल है। 

गुरु के साथ गुरु की भी मानो

पूज्य गुरु जी ने कहा कि आज के इन्सान को ना तो राम-नाम की मर्यादा का ख्याल होता है और ना ही संत-पीर फकीरों, गुरु साहिबानों की बातों पर ध्यान देता है। आज इन्सान जो मन कहता है वही मानता है। ऐसे दौर में साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने यह बात चलाई कि सभी अपने-अपने धर्मो को मानो। लेकिन आज दिखावा बढ़ रहा है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि राम-नाम को मानने वालों की कमी है, आज भी बहुत लोग है जो धर्म की मानते है, गुरु की मानते है और गुरु को मानते है। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि अकेला गुरु को मानना ही सब कुछ नहीं होता बल्कि गुरु की मानना सबकुछ होता है। क्योंकि जब इन्सान अपने गुरू पीर, पैगंबर की मानता है तो अपने आप ही उसका परमात्मा की तरफ प्यार मोहब्बत बढ़ जाता है। क्योंकि गुरु सिर्फ मालिक से जुडऩा सिखाता है, तोडऩा नहीं सिखाता और धर्म शब्द का अर्थ भी यही है। 

धर्म जोडऩे की देते है शिक्षा

धर्म शब्द के बारे में बताते हुए कहा कि धारण कर लेना, ग्रहण कर लेना, जोडऩा धर्म है। लेकिन दुख की बात है कि आज समाज को तोडऩे वाले लोगों की भरमार है, जोडऩे वालों की कमी है। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को दूसरों का भला मांगने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि इन्सान को सदा दूसरों का भला मांगना चाहिए। अगर इन्सान दूसरों का बुरा मांगते है तो दूसरे का बुरा हो या ना हो, इससे दूसरों का बुरा मांगने वाले इन्सान का बुरा जरूर होता है। क्योंकि ऐसा करने से इन्सान के अंदर टैंशन बढ़ जाती है। क्योंकि इन्सान देखता है कि वह जिसका बुरा करना चाह रहा है, उसका बुरा नहीं हो रहा। इससे इन्सान को टैंशन घेर लेती है। इसलिए पूज्य गुरु जी ने समाज से प्रार्थना करते हुए कहा कि कभी भी किसी का बुरा ना गाओ, सभी से बेगर्ज, निस्वार्थ भावना से प्रेम करो। जब कही भी स्वार्थ आने लग जाता है तो इससे इंसान दुखी रहने लग जाता है और उसे टैंशन लाजमी आएगी। इसके अलावा पूज्य गुरु जी ने इन्सान को निंदा-चुगली से दूर रहने का आह्वान किया। 

बड़ो का हमेशा करो सत्कार

पूज्य गुरु जी ने कहा कि परिवार में जो भी पति- पत्नी, भाई-बहन, मां-बाप, बेटा-बेटी, बुआ-फूफा, मामा-मामी का जो भी रिश्ता है, उसे निभाओ। उम्र में जो बड़े है उनका सत्कार करो और कभी भी किसी की बेइज्जती नही करनी चाहिए। बराबर वाले को बहन-भाई के समान मानो, छोटे को बेटा-बेटी के समान मानो। जब समाज में ये भावना आ जाएगी तो समझ लेना कि हमारा कल्चर पुन: जीवित हो रहा है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आज के दौर में समाज के अंदर इंसान ने कल्चर की धज्जियां उड़ा रखी है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि बहुत समय पहले हमारे संत-पीर फकीरों ने बताया था कि ऐसा समय आएगा जब सिर्फ और सिर्फ महिला व पुरुष का रिश्ता रह जाएगा और बाकी सब रिश्ते खत्म हो जाएंगे। आज बड़े बड़े महानगरों, गांव और बहुत सारी जगहों पर रिश्ते बिन श्मशान के जल चुके है। यानी मुर्दा श्मशान में जलता है और रिश्ते आंगन, मैदान और मकान में जल जाते है। इसलिए आज के दौर में इंसान को रहना मस्त और होना होशियार चाहिए। आज के दौर में अजनबी को हद से ज्यादा करीब करना अपनी बर्बादी करने के समान है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि सभी को एक ही भावना लेकर चलनी चाहिए कि मैं जीते जी से लेकर अंतिम समय तक समाज का भला करूं और आगे राम जाने उसका काम जाने। इंसान से कभी भी कोई उम्मीद, आशा नही रखनी चाहिए। आज के समय में यह कड़वी सच्चाई है कि लोगों को राम का नाम बकबका लगता है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि अक्सर बेपरवाह जी फरमाते थे कि तेनु यार नाल की, तेनु चोर नाल की तू अपणी निबेड़, तेनु होर नाल की यानी कौन क्या कर रहा है, उसके बारे में कभी कुछ नही सोचना चाहिए। बल्कि अपने अंदर इंसान को सुधार करना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने मनुष्य को बुरी आदतों को छोडऩे के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि इंसान को अपने घर यानी शरीर से और अपना घर जिस मकान में वह रहता है, वहां से बुराइयों का अंत कर देना चाहिए, बुरी आदतों को बदल डालना चाहिए। जिससे इंसान को सुख शांति मिलेगी और परम आन्नद हासिल होगा।

बहसबाजी से रहे दूर

पूज्य गुरु जी ने साध-संगत से आह्वान करते हुए फरमाया कि आप को कभी भी किसी बात की चिंता नही करनी चाहिए। आप सोचते है कि हम लोग भलाई कर रहे है और लोग हमें बुरा कहते है। आदमी सिर्फ आदमी है। जैसा वह खुद है, सामने वाले 

को पक्का वैसा ही बोलेगा। अगर कोई आपको कुछ गलत कहें तो हाथ जोड़े और नम्रता से दूर हो जाए। किसी से भी लडऩा-झगडऩा नही है। कोई आपसे बहस कर रहा है तो अच्छा है आप उससे अलग हो जाए। सत्संगी यानी मालिक के प्यारे को कभी भी बहसबाजी में नहीं पडऩा चाहिए। क्योंकि हमारा रास्ता भक्ति का है, हमारा रास्ता राम-नाम का है, हमारा रास्ता है समाज से बुराइयां निकालने का। वहीं पूज्य गुरु जी ने राम-नाम गाने से कभी भी डरना नहीं चाहिए की शिक्षा देते हुए फरमाया कि किसी के कहने से राम-नाम गाना बंद नही करना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमने तो कभी अपने सतगुरु से ऐसा कुछ नहीं सिखा, जिसमें यह हो कि डरकर राम-नाम से पीछे हट जाए। राम-नाम गाते थे, गा रहे है और राम-नाम गाते ही रहेंगे। किसी का दिल ना कभी दुखाया है, ना कभी दुखाते है और ना ही कभी दुखाएंगे। ना कभी किसी को बुरा करने की शिक्षा दी है, ना देते है और ना ही कभी बुरा करने की शिक्षा किसी को देंगे। यह है सच्चा सौदा। पूज्य गुरु जी ने कहा कि यहां तो अगर कोबरा भी आ जाता है तो उसे मारने की बजाए पकड़कर बाहर छोडऩे की शिक्षा दी जाती है। सच्चा सौदा में जीवों का भला करना सिखाया जाता है। इसके अलावा खूनदान, शरीरदान सहित 143 मानवता भलाई के कार्य साध-संगत करती है।

गुर्दादान के लिए 55 हजार सेवादार तैयार बैठे है

पूज्य गुरु जी ने सेवादारों की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज का समय ऐसा है जिसमें अगर किसी का गुर्दा फैल हो जाए तो उसके सगे संबंधी भी गुर्दा देने के लिए कन्नी काट लेते है। मगर डेरा सच्चा सौदा में ऐसे भी सेवादार है जिन्होंने दूसरों के लिए अपना गुर्दा दान किया है। इसके लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई है। इसके अलावा 55 हजार सेवादार जीते-जी गुर्दादान करने के लिए तैयार बैठे है और लाखों सेवादार नशा छुड़ाने की मुहिम में लगे हुए है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि जो सेवादार सेवा करते है वो समुद्र के समुद्र खुशियां और दया मेहर लूटते हैं। साथ ही कहा कि जब तक बेपरवाह जी ने काम लेना है और उनके अंदर एक बुंद भी उनके श्वास की है तो भला करते थे, कर रहे है और करते ही रहेंगे। ये समाज हमारा था, हमारा है और हमारा ही रहेगा। लोग हमें चाहे गालिया देते रहे, बुरा बोलते रहे, लेकिन हम सभी को अपना बेटा-बेटी कहते थे, कहते हैं और कहते ही रहेंगे। सभी को अपनी औलाद मानते थे, मानते है और मानते ही रहेंगे। क्योंकि जो भगवान से प्यार करता है वो उसकी बनाई सृष्टि से नफरत कभी नहीं कर सकता। पूज्य गुरु जी ने कहा कि संत जोर लगा रहे है लेकिन फिर भी समाज में बुराइयां बढ़ रही है। क्योंकि कुछ बिजनेस व्यापार बुराई पर ही टिके होते है। उनको लगता है कि अगर यह बुराई बंद हो गई तो उनका व्यापार बंद हो जाएगा। इसलिए वो लोग पसंद नहीं करते जब कोई बुराई को रोकता है। उन्हें पसंद नहीं आता कि कोई नशा छुड़वा दें। फिर वो लोग अच्छाई को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं।

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