मालिक को देखने के लिए उसको समय देना जरूरी: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

 *मालिक को देखने के लिए उसको समय देना जरूरी: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां*


*- कहा, दुनियावी डिग्री बिना मेहनत के नहीं मिल सकती तो भगवान के दर्श-दीदार बिना मेहनत कैसे हो सकते है*

सुरेंद्र मलनिया

बरनावा। शुक्रवार को पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग फरमाया और इस दौरान देश-विदेश से ऑनलाइन जुड़ी साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के दर्शन किए। वहीं इस अवसर पर हरियाणा के अंबाला, राजस्थान के पीलीबंगा, हिमाचल प्रदेश के धौला कुआं व शाह सतनाम जी धाम सिरसा में हजारों लोगों ने पूज्य गुरु जी से नाम शब्द, गुरु मंत्र की दात ली। पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग फरमाते हुए कहा कि संसार में दो तरह की दुनिया मोस्टली मानी जाती है। एक वो जो सुप्रीम पावर अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा रब्ब को मानते है और दूसरा वो जो भगवान को नही मानते। भगवान को मानने वाले क्यंू मानते है, किस लिए मानते है और भगवान को न मानने वालों ने ऐसा क्या देख लिया जो नही मानते, के बारे में समझाते हुए फरमाया कि किसी भी चीज का रिजल्ट लेने के लिए पहले कुछ प्रैक्टिकली कार्य करना होता है। यानी कर्म के बिना रिजल्ट नही और ज्ञान के बिना कर्म नही है। अगर किसी चीज का इंसान को नॉलेज नही है तो उसके लिए कर्म कैसे करेगा और कर्म नही करता तो उसे प्राप्त कैसे करेगा। पूज्य गुरु जी ने उदारण के तौर पर बताया कि जिस प्रकार कोई भी डिग्री हासिल करने के लिए पढऩा पड़ता है और जिंदगी के 20-25 साल लगाने पड़ते है। तभी जाकर डिग्री या मास्टर डिग्री हाथ में आती है। जब एक दुनियावी डिग्री बिना मेहनत के नहीं मिल सकती तो भगवान के दर्श-दीदार बिना मेहनत के कैसे हो 


सकते है। भगवान के दर्श-दीदार के लिए भी मनुष्य को प्रभु के नाम का जाप करना होगा, भगवान के नाम का जाप करने के लिए समय निर्धारित करना होगा। यह सब हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा हुआ है। 


*- दो महीने लगातार सुमिरन करने से महसूस होगी सुप्रिम पावर की शक्ति*


पूज्य गुरु जी ने कहा कि प्रभु के नाम का सुमिरन करने के बारे में हमारे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों में लिखा है। हिंदु धर्म में सुबह के समय 2 से 5 के बीच को ब्रह्म मुर्हूत कहा गया है। इसी समय को सिख धर्म में अमृत वेला, इस्लाम धर्म में बांगे भगत फर्ज, इबादत फर्ज और इग्लिश फकीर इसे दा गॉडस प्रेयर दी टाइम कहते है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि सुबह के इस समय इन्सान जागे, भक्ति इबादत करे और शाम को खाने के बाद एक घंटा प्रभु के नाम का लगातार दो महीने जाप करे तो उसे जरूर भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु के दर्श-दीदार होंगे। पूज्य गुरु जी ने कहा कि दो महीने तक परहेजों के साथ सुमिरन करने से इंसान को उस परम शक्ति का अहसास, उस ओम, एक ओंकार, दा सुप्रिम पावर गॉड जो एक है, उसको जरूर देख पाएगा और महसूस कर पाएगा। पूज्य गुरु जी ने कहा कि इंसान को विचार करना चाहिए कि उसको एमडी की डिग्री के लिए 20 से 25 साल लगाने पड़ते है और इधर भगवान के लिए दो ही महीने है। लेकिन फिर भी इंसान भगवान के लिए दो महीने लगाना नही चाहता और बैठा-बैठा ही 

कहता है कि भगवान तो है ही नही। इस बात का कोई इलाज नहीं है।


*- धर्म ग्रंथों में जो लिखा है वो सच है*


पूज्य गुरु जी ने कहा कि कुछ सज्जन इतिहास व धर्म में जो लिखा गया है उसको फिजूल की कहानियां कहते है। ऐसी सोच रखने वालों से हम पूछते है कि जरा बताइए इतिहास लिखा किसने है। लिखने वाला कोई और नहीं बल्कि आदमी है। वहीं हमारे धर्म भी आदमी ने ही लिखे है, पर वो उस समय जंगलात में चले गए। जिस प्रकार इतिहास कर्ता रहे होंगे, उन्होंने डिग्रियां ली होगी, 

डॉक्टररेट होंगे। उसी प्रकार धर्म ग्रंथों को लिखने वाले संत, पीर, फकीर,ऋषि, मुनि व पैगंबर कहलाए। उन्होंने पूरी उम्र का रिसर्च उन किताबों यानी धर्म ग्रंथों में दे दिया है। वो (ऋषि, मुनि व पैगंबर) अपना ऐम बनाकर चले और उन्होंने जिंदगी में अन्य कोई कर्म किया ही नहीं। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आज का इंसान इतिहास की बातों पर यकीन करता है, जो समय-समय पर बदलती रहती है। लेकिन धर्म-ग्रंथों की बातों पर यकीन नही करता। पूज्य गुरु जी ने कहा कि जो संतों, महापुरुषों ने ग्रंथ लिखे वो पै्रक्टिकली मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन है। पूज्य गुरु जी ने भगवान को ना मानने वाले से आह्वान करते हुए कहा कि आप दो महीने परमात्मा का नाम लेकर देख लो, भगवान के दर्श-दीदार जरूर होंगे। पूज्य गुरु जी ने कहा कि इतिहास बदलता रहा है यानी जो जो राजा-महाराजा आए, उन्होंने अपने हिसाब से इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा है। पूज्य गुरु जी ने यह भी कहा कि हालांकि हम यह भी नहीं कहते कि इतिहास के साथ ही ऐसा हुआ है, धार्मिक ग्रंथों के साथ भी ऐसा हुआ है। लेकिन उनमें जो अनुभव संत-पीर फकीरों के है वो ज्यौं के त्यौं सच है। तो यह दो तरह की दुनिया अपनी-अपनी मस्ती में है। 


*- रिसर्च में हुआ खुलासा, मालिक को मानने वालों में होती सहनशीलता*


पूज्य गुरु जी ने कहा कि एक बार बाहर के देशों में वैज्ञानिकों द्वारा मालिक को मानने वाले और मालिक को नहीं मानने वालों में रिसर्च किया गया। जिसमें उन्होंने लोगों पर चिप लगाई, सेंसर भी लगाए। जिनमें 200 लोगों को एक साइड में रखा और 200 लोगों को दूसरी साइड में रखा। इनमें एक साइड वाले मालिक को मानने वाले और दूसरी साइड मालिक को नही मानने वाले थे। वैज्ञानिकों ने उनके बच्चों के व्यवहार और उनके घर गृहस्थ, परिवार वालों के व्यवहार से जो अनुभव सामने आए उनको लिखते गए। वैज्ञानिकों ने बताया कि जो मालिक को मानने वाले थे, उनके अंदर शांति ज्यादा थी, वो झगड़ा करते नहीं थे और करते थे तो बड़ा ही जल्दी उसे सुलझा लेते थे। जबकि दूसरी साइड में मालिक को नहीं मानने वाले बात-बात में झगड़ा करते थे और सुसाइड तक बात उनकी पहुंच जाती थी। राम-नाम वाले सहारा राम-नाम का लेकर अच्छे कर्म बहुत करते थे और दूसरे सारा दिन स्वार्थ में डूबे रहते थे। पूज्य गुरु जी ने बताया कि वैज्ञानिकों ने मालिक के नाम लेने वालों की जो मनोदशा देखी तो मालिक का नाम लेने वाले वो बहुत ऊंचे है यानी इंसानियत में बहुत अव्वल है तथा जज्बात व जुबान के पक्के है और आत्मबल से परी पूर्ण है। वहीं दूसरे इन सभी मामलों में बिल्कुल शून्य थे। फिर वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च किया कि ऐसा होता कैसे है?। उन्होंने देखा कि मालिक को मानने वाले सुबह और शाम को प्रेयर करते है। जिसमें वैज्ञानिकों ने देखा कि कुछ अदृश्य किरणें उनमें से निकलती है। ये किरणें कहां जाती है,इसके लिए वैज्ञानिकों ने उन किरणों का पीछा करना चाहा, लेकिन उन्हें इसका पता नही चला। वो किरणें कही ब्रह्मांड में जाकर लुप्त हो जाती है। फिर वह किरणें तरंगों में अलग-अलग रंग में बदलकर वापिस आती है और फिर वो मालिक का नाम लेने वाले लोगों के दिमाग में घुस जाती है। फिर वैज्ञानिकों ने देखा कि दिमाग की रिपेयर होनी शुरू हो गई, डीएनए की रिपेयर होनी शुरू हो गई। वो यह देखकर दंग रह गए। फिर उन्होंने कहा कि कोई तो ताकत है जो ये किरणें भेज रही है और इनके माइंड को पावरफूल कर रही है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि इन्सान किसी चीज को झूठला नहीं सकता और किसी चीज को 100 परसेंट सही तब कहेंगे जब प्रैक्टिकली कर पाएंगे और प्रैक्टिकली करना ही मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन है।  


*- डीएनए ही है पावर हाउस*


पूज्य गुरु जी ने कहा कि अक्सर लोग कहते है दिमाग ही पावर हाउस है। लेकिन ऐसा नहीं है। दिमाग का भी कोई पावर हाउस है वो है डीएनए। दिमाग को चाहे कितना शुद्ध बना लो, कितना बढिय़ा बना लो, कितना भी साफ कर लो, वो शरीर की उतनी रिपेयर नहीं करता। जितना डीएनए। अगर डीएनए रिपेयर हो जाए तो पूरी बॉडी एक पल में रिपेयर हो सकती है। यह बात बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी मानते है और यह हमारे धर्म, पाक पवित्र वेद कहते है। पूरी दुनिया को उन्होंने संदेश दिए है। पूरी दुनिया को बताया कि कैसे आप सुखी व शांतमय जीवन व्यतीत कर सकते है। यह सब ब्रह्मचर्य आश्रम की बात है।


*- गुरुकुल में विद्यार्थी को डॉक्टर बनने की भी दी जाती थी ट्रेनिंग*


पूज्य गुुरु जी ने आगे फरमाया कि गुरूकुल में इंसान को अपने आप किस प्रकार रिपेयर किया जा सकता है, के बारे में सिखाया जाता था। इसके अलावा अपने आप को पढऩा यानी विद्यार्थी को डॉक्टर भी बनाया जाता था। पूज्य गुरु जी ने कहा कि यह हमने 100 प्रतिशत अनुभव किया है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि इंसान सुमिरन, भक्ति के द्वारा अपनी सिक्‍स्‍थ सेंस को जगा ले तो उसे सब 

कुछ अनुभव होने लगता है। यह सब गुरुकुल में सिखाया जाता था। इसकी बकायदा टै्रनिंग दी जाती थी कि अपने शरीर की कैसे सुननी है। गुरुकुल में योगा और एक्सरसाइज के साथ मेडिटेशन और ध्यान में बैठाना सिखाया जाता था। इसके अलावा गुरुकुल में विद्यार्थी को कौन सी जड़ी बुटियां किस काम में आती है, के बारे में भी पूरी जानकारी दी जाती थी। यह भी बताया जाता था कि जंगल में ये पत्तिया फ्ला पेड़ की है और यह किस जख्म पर काम करती है। इसी ज्ञान से स्नेहलेप बना था। स्नेहलेप जहां लगा दिया जाता था वहां सुबह तक जख्म ही भर जाते थे। पूज्य गुरु जी ने कहा कि संत पीर फकीरों का जबरदस्त दिमाग था, जिंहोंने गुरुकुल को चलाया। अगर किसी की हड्डी टूट जाती थी तो शाम को दवाई देते थे तो सुबह तक वह जुड़ जाती थी। लेकिन डॉक्टर 15 दिन तक प्लास्टर में पैर लगा के रखते है। यह हकीकत है, यह सच्चाई है। हम डॉक्टर साहिबानों को यह नहीं कहते है आप गलत कर रहे है। आप भी 100 परसेंट सही कर रहे है। लेकिन डॉक्टर अभी तक उस विधि तक पहुंचे ही नहीं है, इसलिए उन्हें यह 

कहानियां लगती है, किस्से लगती है। उस तक पहुंचने के लिए मेडिटेशन करनी पड़ेगी, ध्यान एकाग्र करना पड़ेगा। मेडिटेशन के द्वारा इंसान अपने फ्यूचर, पास्ट व परचेंट के बारे में जान सकता है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि डॉक्टर व वैज्ञानिक अभी तक इंसान के शरीर को सिर्फ 5 से 7 परसेंट ही पढ़ पाए है। अगर कोई ज्यादा से ज्यादा पढ़ पाया है तो 10 से 15 परसेंट ही है। इससे आगे कोई नही गया। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आदमी का दिमाग ही अभी तक वैज्ञानिकों से नहीं पढ़ा जा रहा। माइंड ऐसी-ऐसी क्रिएशन कर सकता है, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। पूज्य गुरु जी ने कहा कि ऐसी शिक्षा 12 हजार साल पुराने वेदों व गुरुकुल में बच्चों को दी जाती थी।


*- शरीर की शक्ति को विल पावर से बढ़ाया जा सकता है*


पूज्य गुरु जी ने बताया कि कैसे ध्यान के द्वारा धरती से ऊपर उठा जाता है, कैसे ऊपर उठ के आगे बढ़ा जाता है, कैसे अपने आप को गति देते है, कमांड देते है तथा माइंड कैसे बॉडी को कमांड देता, यह सिखाया जाता था गुरुकुल में। तो सोचिए वो विद्यार्थी कैसे होंगे। उन विद्यार्थियों को पता होता था कि मैं चाहूं तो उड़ भी सकता हंू। मेरे अंदर की पावर को और ज्यादा कर सकता हंू। इसके अलावा अपने शरीर की शक्ति को विल पावर के द्वारा व कॉन्फिडेंस के द्वारा कैसे बढ़ाया जाता है, के बारे में भी पढ़ाया जाता था। -


*- बच्चों को समय देना जरूरी*


पूज्य गुरु जी ने कहा कि मनुष्य को अपने बच्चों को टाइम जरूर देना चाहिए। ब्रह्मचर्य आश्रम में जब बच्चों को पढ़ाया जाता था तो उन्हें पै्रक्टिकली स्टडी कराई जाती थी। जो उनके दिला-दिमाग में बैठ जाती थी। जिससे वो कभी उसे भूलते भी नहीं थे। आज के टाइम में उस तरह की पढ़ाई बहुत मुश्किल है। पवित्र वेदों में जो लिखा है, जो ब्रह्मचर्य में सिखाया जाता है वो 100 प्रतिशत सच था, सच है और आगे भी सच ही रहेगा। डीएन ही असली पावर है आदमी के अंदर। आदमी के अंदर पावर को बढ़ाया जा सकता है और उसमें गड़बड़ होने पर आदमी में बीमारियां हो जाती है। उसको सुधार दें तो सारी बिमारियां ठीक हो जाती है। यह हमारे पवित्र ग्रंथों में लिखा गया है।  

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