पीएफआई को लेकर ईडी की जांच।

पीएफआई को लेकर ईडी की जांच

सुरेंद्र मलनिया। रोजी-रोटी कमाने और रोजगार पाने के लिए भारत से कई लोग खाड़ी देशों में पलायन करते हैं। ये लोग भारत में पीएफआई की जिला स्तरीय समितियों के माध्यम से अपनी कमाई का पैसा अपने परिवार को हस्तांतरित करते हैं, लेकिन पीएफआई इन फंडों के हस्तांतरण के लिए एक हिस्से का उपयोग करता है। खाड़ी देशों में चीन के नियंत्रण वाली कई कंपनियां हैं जो खाड़ी देशों में खरीदे गए उत्पादों का भुगतान चीन को फंड भेजने के स्थान पर भारत को हस्तांतरित करता है। इस तरह *थर्ड पार्टी के जरिए पीएफआई के हाथ में पैसा आता है* । विदेशों से इस तरह की धनराशि सीधे पीएफआई के खातों में जमा नहीं की जाती है। *सुरक्षा एजेंसियों की जांच में पता चला है कि पीएफआई को चैरिटी के नाम पर मिलने वाला ज्यादातर फंड फर्जी दानदाताओं से है।* ऐसे दानदाताओं से पूछताछ में पता चला कि वे गरीब थे और इतनी बड़ी राशि दान करने में असमर्थ हैं। उनमें से ज्यादातर पीएफआई के बारे में अनभिज्ञ थे । चंदे के लेन-देन से पता चलता है कि पीएफआई नेता खुद इस तरह के फर्जी खाते संचालित करते हैं और अपने निहित स्वार्थों के लिए एक फर्जी खाते से दूसरे खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने लखनऊ की विशेष अदालत में पीएफआई और उसके प्रमुख संगठन 'रिहैब इंडिया फाउंडेशन' के खातों में 73 लाख रुपये जमा करने की शिकायत दर्ज कराई थी ।  

मनी लॉन्ड्रिंग से भी पीएफआई को फंडिंग मिलती है। *पीएफआई ने केरल स्थित 'मुन्नार विला विस्टा प्राइवेट लिमिटेड' और अबू धाबी स्थित 'दरबार' रेस्टोरेंट का भारत के अंदर और बाहर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक साथ इस्तेमाल किया* है। ये मूल रूप से केरल के पीएफआई नेताओं जैसे अशरफ एम. के. और अब्दुल आजाद बी. पी. द्वारा नियंत्रित और संचालित थे। मुन्नार विला विस्टा प्राइवेट लिमिटेड एक रियल एस्टेट परियोजना है जो केरल के मुन्नार जिले में 10 एकड़ क्षेत्र में स्थित है। इस परियोजना के तहत 69 विला बनाए गए थे। छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेजों से पता चला कि ९० लाख रुपये इस परियोजना के लिए नकद में खर्च किए गए थे, जिसका न तो कोई विवरण था और न ही धन का कोई स्रोत था। इसके अलावा 21 लाख रुपयों आवेदन राशि के माध्यम से भी प्राप्त हुए थे। इस परियोजना के कुछ अनाम शेयरधारक संयुक्त अरब अमीरात स्थित लोग थे जिन्होंने बाद में बदले में कोई शेयर मूल्य लिए बिना अपने शेयरों को पीएफआई नेताओं के नाम पर स्थानांतरित कर दिया था। इसी अवैध तरीके से पीएफआई ने मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट की स्थापना की थी।  

  इसी तरह, पीएफआई नेताओं ने भारत सरकार से अबू धाबी स्थित दरबार रेस्टोरेंट के बारे में जानकारी छुपाई। पीएफआई ने दरबार रेस्टोरेंट का इस्तेमाल खाड़ी देशों में धन इकट्ठा करने और इस तरह के काले धन को सफेद धन में बदलने के लिए और उसी फंड को भारत में स्थानांतरित करने के लिए किया। प्रवर्तन निदेशालय की जांच से पता चलता है कि *पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके संगठन 'रिहैब इंडिया फाउंडेशन' ने गुप्त रूप से विदेशी फंडिंग प्राप्त की और पीएफएल नेताओं ने अपने संगठन को चलाने और भारत में कट्टरता फैलाने के लिए इस तरह के काले धन को सफेद में परिवर्तित कर दिया* । पीएफआई की इस तरह की देश विरोधी गतििधियों के लिए, भारत सरकार ने इस पर ५ साल के लिए प्रतिबंध लगाया है जिसका हर भारतीय खासकर मुस्लिम समाज को स्वागत करना चाहिए।

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