ईसाई पीएफआई की हाथ की सफाई से सावधान हैं।

ईसाई पीएफआई की हाथ की सफाई से सावधान हैं। 

सुरेंद्र मलनिया

पीएफआई ने अपने गठन के बाद से ईसाइयों के साथ समान वैचारिक धरातल  पेश करने की कोशिश की है। हालांकि, वास्तविकता बिल्कुल विपरीत है। यह घृणा और धमकी में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया था।  इस साल मई में केरल के अलाप्पुषा जिले में  पीएफआई की एक रैली के दौरान नारे लगाए गए। इन कट्टरपंथी तत्वों द्वारा लगाए नारों में न केवल हिंदुओं बल्कि ईसाइयों को भी धमकी दी गई थी।बाद में हिन्दू व ईसाई संगठनों द्वारा इस घटना की निंदा की गई थी।   केरल के चर्चों की परिषद ने कहा कि इस तरह की घटनाएं देश में मुस्लिम कट्टरपंथी तत्वों और कट्टरपंथी संगठनों के बीच चरमपंथी दृष्टिकोण की उपस्थिति की ओर इशारा करती हैं और मुस्लिम कट्टरवादियों की ईसाई विरोधी सोच को भी उजागर करती है।



पीएफआई, जो की मुस्लिम-ईसाई एकता की बड़ी बड़ी बातें करता है उसने अपना असली रंग तब दिखाया जब उसने  इस्तांबुल में स्थित छठी शताब्दी के चर्च हागिया सोफिया को मस्जिद में बदले जाने का समर्थन किया, वो भी केवल  अपने तुर्क आकाओं की चापलूसी करने के लिए। हागिया सोफिया जो कि ईसाई समुदाय के लिए 1000 वर्ष पूर्व से ही एक प्रार्थना स्थल रहा है, उसको एक मस्जिद में बदला जाना समूचे ईसाई समुदाय के लिए एक पीड़ा का विषय था।  ईसाई नेताओं ने धर्मों और संस्कृतियों के बीच एकजुटता के प्रतीक के रूप में हागिया सोफिया की स्थिति को संग्रहालय के रूप में रखने का आग्रह किया।  तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया और हागिया सोफिया मुद्दे का इस्तेमाल अपनी इस्लामी पार्टी के समर्थन के लिए किया।  यह  प्रकरण स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि पीएफआई को अन्य धर्मों की भावनाओं का कोई सम्मान नहीं है। हाल ही में, कुछ ईसाई समूहों द्वारा  इस बात पर विरोध जताया गया कि कई इस्लामी संगठनों बड़े पैमाने पर ईसाइयों का धर्मांतरण कर रहे हैं।  केरल में ईसाई संगठन क्रिश्चियन एसोसिएशन और अलायंस फॉर सोशल एक्शन (कासा) ने मंजेरी, मलप्पुरम में स्थित पीएफआई के धर्मांतरण केंद्र सत्यसरानी को बंद करने की मांग की थी।  उन्होंने दावा किया कि यह केंद्र  'लव जिहाद' की आड़ में  ईसाई-हिंदू लड़कियों कों फँसाकर  बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का लक्ष्य रखता है।  पीएफआई की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के वित्तपोषण में सिटीजन फॉर डेमोक्रेसी (सीएफडी) नामक एक गैर सरकारी संगठन की भूमिका का आरोप लगाते हुए, कासा ने ईडी से इसकी भी गहन जांच  की मांग की।

  इसी तरह, सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के बिशप एंड्रयूज थजथू ने मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसके राजनीतिक मोर्चे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के बढ़ते सामाजिक प्रभाव  पर अपनी गंभीर चिंता जताई।  उन्होंने 23 जुलाई, 2020 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जारी एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से संकेत दिया गया था कि ISIS में शामिल होने वाले 200 भारतीय युवाओं में से अधिकांश केरल और कर्नाटक के हैं।

 2021 में, पाला बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट्टू (सीरो मालाबार चर्च) ने भी अस्पतालों, परामर्श केंद्रों, ईसाई समुदाय द्वारा संचालित नशामुक्ति केंद्रों और यूरोपीय फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर लव जिहाद और नारकोटिक जिहाद का मुद्दा उठाया था।  दक्षिण एशियाई अध्ययन के लिए, यूएनओडीसी (ड्रग एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय) आदि ने 2010 में पीएफआई द्वारा हाथ काटने की घटना को याद करते हुए, अन्य ईसाई नेताओं और संगठनों का समर्थन किया जिन्होंने पीएफआई द्वारा हाथ काटे जाने का विरोध किया गया था।  पाला बिशप ने यह स्पष्ट किया कि वे किसी मुस्लिम के विरुद्ध नही थे बल्कि केरल को तालिबान जैसे राज्य में परिवर्तित करने के विरोधी थे।  पीएफआई जैसे संगठन के सम्बंध में ईसाई धर्मगुरुओं के विचारों को जानने के बाद यह तो स्पष्ट है कि भविष्य में वे पीएफआई ऐसे कट्टरवादी इस्लामी संगठन से किसी भी तालमेल से बचेंगे।

Previous Post Next Post