पी एफ आई :- मुस्लिमों की हितैषी या मुस्लिमों की शत्रु

पी एफ आई :- मुस्लिमों की हितैषी या मुस्लिमों की शत्रु

सुरेंद्र मलनिया

संविधान और लोकतंत्र बचाने के नाम पर कट्टर विचारधारा परस्त पीएफआई पर प्रतिबंध मुस्लिमो के हित में है।मुसलमानों के हित और उनके संरक्षण के दावे करने वाली पीएफआई की सचाई यह है कि अपनी आलोचना सुनते ही इनके लोग इतने बौखला उठते हैं कि हिंसा पर आमादा हो जाते हैं।

लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक व्यवस्था का प्रहरी बनने का छद्म दावा करने वाली, अलकायदा और आईएसआईएस समर्थित पीएफआई की सचाई यह है कि इनके लोग अपने आलोचकों की बहस का उत्तर हाथ काटकर देते हैं। प्रोफेसर टी जे जोसफ तो सिर्फ एक उदाहरण मात्र है, वरन इनके कार्यों और विचारधारा का कानूनी तरीके और संविधान के प्रावधानों के साथ विरोध करने वाली सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ हिंसक और अपमानजनक आचरण पीएफआई के वास्तविक चेहरे को दर्शाता है।


अलकायदा, आईएसआईएस, आई एच एच, और आतंकी जाकिर नायक के विचारों के द्वारा भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने के पीएफआई के विचारों का सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। जिसके बाद से सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर हमलों में तेज़ी आ गयी है।

मज़लूमियत की बात करने वाली पीएफआई के जुल्म का यह कारनामा है कि मात्र विरोध करने के कारण इस संगठन ने अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान ज़ैनुल आब्दीन साहब के बेटे सय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती के खिलाफ जम के साज़िशें की और पी एफ आई कि निन्दा करने पर उनको कानूनी नोटिस भेजकर अपमानित किया। जिसके बाद सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मो कौसर हसन मजीदी को सर काट देने की धमकी देने वाला पत्र भी प्रेषित किया। पीएफआई को प्रतिबंधित कराने की मांग को लेकर असोसिएशन द्वारा कानपुर से दिल्ली तक यलगार यात्रा और 20 फरवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरने का आयोजन से बौखलाए पी एफ आई के समर्थकों ने सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दरगाह मीरा दातार के गद्दीनशीन पीर सय्यद खालिद नक़वी के घर उनकी अनुपस्थिति में उनके आवास पर जानलेवा हमला करके महिलाओं और बच्चों को मारपीट कौन से इस्लाम को प्रस्तुत किया था? यह देश का मुसलमान पूछता है।

पीएफआई यहीं नहीं रुकी, दरगाह बारा अकबरपुर कानपुर देहात पर पीएफआई समर्थकों ने गोलीबारी कर सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी कौसर मजीदी, कार्यकारी अध्यक्ष पीर खालिद नकवी, संयुक्त सचिव ज़ियारत अली शाह मलंग हक्कानी मलंग पर कई राउंड गोली चलवाकर जानलेवा हमला करवाया था, जिसके सम्बन्ध में स्थानीय पुलिस द्वारा हत्या के प्रयास की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया ।

महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि खुद को सूफी कहलाने वाले भी पीएफआई के "इत्तिहादे उम्मा" से प्रेरणा लेने वाले ऐसे कार्य कर रहे हैं। जन विरोधी समाज विरोधी क्रियाकलापों में लिप्त पीएफआई न केवल इस्लाम की बल्कि इंसानियत की शत्रु है, जिसका स्थायी समाधान इसके राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित करने में ही निहित है।

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