रहमतुल्लाह मोहम्मद सयानी: एक महान भारतीय मुस्लिम राजनीतिज्ञ थे

 रहमतुल्लाह मोहम्मद सयानी: एक महान भारतीय मुस्लिम राजनीतिज्ञ थे

सुरेंद्र मलनिया 

रहमतुल्लाह मोहम्मद सयानी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने 1896 में सुरेंद्रनाथ बनर्जी के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया । रहीमतुल्लाह मोहम्मद सयानी का जन्म 5 अप्रैल 1847 में खोजा मुस्लिम घराने में हुआ था । वे आगा खान के शिष्य भी रहे । वे पेशे से एक वकील थे, जिन्होंने सार्वजनिक प्रतिष्ठा और पेशेवर उत्कृष्टता हासिल की थी , उन्हें बॉम्बे नगर निगम के सदस्य के रूप में चुना गया था और सन 1888 में निगम के अध्यक्ष के रूप में भी चुने गए थे । दो बार बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए चुने गए और इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ( 1896-1898 ) के लिए भी चुने गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्थापना से भी जुड़े थे और उन दो भारतीय मुसलमानों में से एक थे , जिन्होंने 1885 में बॉम्बे में आयोजित कांग्रेस के पहले सत्र में भाग लिया था , जहां वोमेश चंद्र बनर्जी को पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था । 



वर्ष 1896 में उन्होंने कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस के 12 वें वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता की । रहीमतुल्लाह एम सयानी , बदरुद्दीन तैयबजी के बाद राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाले दूसरे मुस्लिम थे । कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में , पार्टी के लिए उनका संबोधन ब्रिटिश शासन के आर्थिक और वित्तीय पहलुओं पर विस्तृत रूप से देखने के लिए उल्लेखनीय था । वह 1899 में बॉम्बे के प्रतिनिधियों में से एक के रूप में गठित कांग्रेस कार्यकारी समिति ( भारतीय कांग्रेस कमेटी ) के सदस्य थे । सयानी ने मुसलमानों से कांग्रेस में शामिल होने का आग्रह किया था , जिसे उन्होंने " वह सब जो वफादार और देशभक्त , प्रबुद्ध और प्रभावशाली , प्रगतिशील और उदासीन है " का प्रतिनिधित्व करने वाला माना । पश्चिमी शिक्षा के समर्थक सयानी ने इसे मुसलमानों के लिए विशेष रूप से आवश्यक माना था । वह हिन्दू मुसलमान को जोड़े रखने की वकालत करते थे। उनका कहना था कि हमें भारत के सभी महान समुदायों के बीच व्यक्तिगत अंतरंगता और दोस्ती को बढ़ावा देना चाहिए और राष्ट्रीय विकास और एकता की भावनाओं को विकसित तथा मजबूत करने चाहिए। 

 6 जून 1902 को बॉम्बे के उनके आवास पर उनका निधन हो गया था । उनके यौमे वफ़ाद पे, हमे उनके जिंदगी से तालीम लेनी चाहिए और मुस्लिम नौजवानों को मुल्क की तरक्की में तअब्बुन देना चाहिए ।।

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