क्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन जरूरी

सुरेंद्र मलनिया 


  1. वक्फ यानि किसी संपत्ति को खुदा के नाम पर लोक हित में समर्पित करना, जिसका प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है। पहला वक्फ अलल खैर का प्रयोग सार्वजनिक होता है, मस्जिद दरगाह इत्यादि इसी श्रेणी में आते हैं। दूसरा वक्फ अलल औलाद से वक्फ करने वाले यानी वाकिफ के वंशज या जिसे उसके द्वारा नामित किया गया हो वो लाभान्वित होते हैं। दोनो प्रकार के वक्फ बेचे नहीं जा सकते, हां उससे प्राप्त आमदनी का प्रयोग वाकिफ की मंशा के अनुरूप किया जा सकता है। कालांतर में वक्फ संपत्तियों की देख-रेख भारत में स्थापित इस्लामी हुकूमत द्वारा की जाती रही थी। 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने भारत में अपनी भासन व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करने के लिए स्थानीय विधियों का निर्माण किया, उसी के अंतर्गत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए वक्फ अधिनियम बनाए गए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में नए सिरे से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक्ट बनाए गए और उसी के अनुरूप वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई। 
  2. आंकड़ों के मुताबिक देश में रेल और रक्षा मंत्रालय के पश्चात सर्वाधिक संपत्ति वक्फ की है, किंतु बेहतर प्रबंधन न होने की वजह से इनका उपयोग जनसामान्य के हितार्थ नहीं हो पा रहा है। वक्फ खास तौर से वक्फ अलल खैर का उद्देश्य ही प्राणी सेवा है। यही कारण है कि धर्मार्थ व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन की पूंजी को उल्लाह की रज़ा के लिए उसके बंदों की खिदमत में लगा दिया जाता है। लेकिन उसके विपरीत माफिया और अराजक तत्वों द्वारा वक्फ संपत्तियों को अपनी कमाई का साधन बना लिया गया है। वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर उन्हें बेचे जाने के असंख्य मामले सामने आए हैं। वक्फ संपत्तियों पर अगर ईमानदारी के साथ काम किया जाए तो सिर्फ मुस्लिम समाज ही नहीं अपितु समाज के अन्य वर्गों का बड़ा हिस्सा लाभान्वित हो सकता है। इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वक्फ संपत्तियों की आमदनी के 10 प्रतिशत अंश से ही देश के सारे वक्फ बोर्ड संचालित हो रहे हैं। 
  3. विडंबना यह है कि वक्फ संपत्तियों पर आज भी अरबों रूपए की कीमत वाली वक्फ संपत्तियों का ठीक से उपयोग तक नहीं हो पा रहा है। दिल्ली, हैदराबाद, कानपुर, कोलकाता, पटना, लखनऊ इत्यादि बड़े-बड़े महानगरों में सर्किल रेट के आधार पर किराए के मूल्यांकन के अनुसार लाखों रूपए किसी-किसी संपत्ति से किराया अदा किया जा रहा है। यदि इसी पर सुधार कर लिया जाए तो वक्फ संपत्तियों से आमदनी बढ़ सकती हैं, और उसका उपयोग यदि सिर्फ शिक्षा और स्वास्थ्य पर ही कर लिया जाए तो निश्चित रूप से समाज का बहुत बड़ा तबका लाभान्वित होगा और सरकार के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी जिसका उपयोग सरकार द्वारा दूसरी जनकल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है।

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