अपने संसाधनों एवं शक्ति के सही इस्तेमाल से सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है भारत।

 

अपने संसाधनों एवं शक्ति के सही इस्तेमाल से सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है भारत।

जहां देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के पथ पर अग्रसर हो आईएनएस विक्रांत को समुंद्र में तैनात कर चुका है, वहीं विभिन्न क्षेत्रों में देश अभी भी विदेशी तकनीक और संसाधनों पर निर्भर है। विश्लेष्ण की नजर से अगर इस स्थिति का पोस्टमार्टम करे तो ज्ञात होगा कि जहां दुनिया के विकसित राष्ट्र अपने मानव संसाधन के विकास हेतु कार्य व देशभक्ति की अलख जगाने पर प्रमुखता से कार्य करती है, वहीं भारत देश में आधारभूत संरचनाओं (Infrastructure) के निर्माण आदि पर जोर दिया जाता है।


बस यह अंतर ही है जो विश्व में सबसे ज्यादा युवा शक्ति रखने के बावजूद भी इसको जनसंख्या वृद्धि की समस्या के रूप में दिखाता है, जो सोने की चिड़िया कहलाने के बावजूद आज वर्ल्ड बैंक के कर्ज के बोझ तले दबा है, जहां दुनिया को आयुर्वेद देने वाले ऋषि होने के बावजूद आज फार्मा कंपनियों का सालाना व्यापार कई हजार करोड़ का है और जहां सैकड़ों वैज्ञानिक ग्रंथ (वेद, श्रीमद्भगवद्गीता, पुराण आदि) होने के बावजूद भी लोगों में अशिक्षा व्याप्त है।

अगर देश की युवा शक्ति के विकास पर सही तरीके से कार्य किया जाए तो देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है लेकिन सरकारों के वादे और कार्य देख अब चिंता यह है कि कहीं सरकार इसकी योजना इतनी देरी से न बनाए कि उसके क्रियान्वन का समय आते आते युवा शक्ति, बुजुर्ग पीढ़ी बन जाए।

- अमन कुमार (बागपत, उत्तर प्रदेश)
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